लूनी नदी का उदगम – अजमेर में नाग पहाड़ से होता है जो मध्ये अरावली में आती है
संगम – कच्छ का रन गुजरात में
लम्बाई – 495 KM
राजस्थान में लूनी नदी की लम्बाई – 330 किमी
लूनी नदी से संबधित जिले * 6
जिनको याद करने की ट्रिक यह है |
अ प ना बा जा ज
अ ajmer प PALI ना NAGOR बा बाड़मेर जा जोधपुर ज जोलोर
लूनी नदी की सहायक नदिया है
लूनी की सहायक नदियों को याद करने की ट्रिक भी है जिसे आपको जल्दी से याद हो जायगा
सुकी बाड़ी खारी जो जवाई से मिली
- सुकडी
- बांडी
- खारी
- जोज्डी
- जवाई
- सागी
- मिठडी
- लिलड़ी
- गुहिया
लूनी नदी को बहुत से नामो से पुकारा जाता है कुछ लूनी नदी के नाम यह है ‘
- सागरमती
- लवणवती
- अंत सलिला (यह नाम कालिदास ने रखा है )
- आधी मीठी -आधी खारी
नोट-
- रेल व नाडा
लूनी नदी जिस आकर में फेली हुयी है उसे कहते है ये सर्पीले आकर में भी फैली हुई है सबसे ज्यदा विस्तार लूनी नदी है जालोर में है
2. जोजड़ी
लूनी नदी में दये और से मिलने वाली एक ही नदी है जो की अरावली से नहीं आती है समतल मैदान में आकर मिलती है
३. बोलोतरा
ये जगह पली जिले में पड़ती है यहाँ पर आकर लूनी नदी का पानी खारा होना स्टार्ट होता है और सबसे जायदा बाड भी इसी एरिया में आती है
राजस्थान में कुल अपवा तंत्र में लूनी का योगदान 10.40 % है
लूनी नदी से बंधित बाँध निम्न है
- जसवंत सागर बाँध – जोधपुर जिले में स्थित है
- हेमावास बाँध परयोजना – पाली जिले में है
- जवाई बाँध परयोजना – पाली जिले जवाई नदी पर स्थित है
- बांकली बाँध परयोजना – जालोर जिले में सुकडी नदी पर स्थित है
नोट –
जवाई बाँध
पाली जिले में स्थित है जो प . राज की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है इस कारण इसे मारवाड़ का अमूर्त सरोवर कहा जाता है
जवाई बाँध में पानी की आपूर्ति कमी होने पर जलापूर्ति सेई जल सुरंग से की जाती है
सेई जल सुरंग –
१ राजस्थान की पहली जल सुरंग है जो पाली जिले से udaipur तक है जवाई में जल आपूर्ति करती है