असफल होने के बाद कैसे पाएँ सफलता? जानिए 5 टिप्स: अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उससे जीवन में कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ा है तो वह व्यक्ति झूठ बोल रहा है। क्योंकि हर इंसान कभी न कभी हारता जरूर है। कहा जाता है कि इंसान गलतियों का पुतला होता है इसीलिए वह अपने जीवन में कभी न कभी गलती जरूर करता है। दोस्तो UnSuccess To Successful कैसे होते है इस आर्टिकल से आप पढ़ सकते है
कई लोग ऐसे होते हैं जो हार कर निराश हो जाते हैं और थककर बैठ जाते हैं, तो कई ऐसे लोग भी होते हैं जो हार के बाद भी निरंतर प्रयास करते रहते हैं और जीत हासिल करते हैं। यानी कई ऐसे लोग हैं जो अपने जीवन में असफल हो जाते हैं लेकिन उसके बाद भी वे निरंतर प्रयास करते रहते हैं और एक दिन सफल हो जाते हैं।
हर असफलता हमें कुछ न कुछ सीख जरूर देती है और जो व्यक्ति अपनी असफलता से सीखकर अपनी कमजोरियों पर काम करता है वो आगे चलकर सफल बन जाता है। इसीलिए कभी अपनी असफलता से निराश नहीं होना चाहिए और हमेशा निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन राष्ट्रपति बनने से पहले कई बार अलग-अलग चुनाव हार चुके थे लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करते चले गए और एक दिन उन्हें सफलता हासिल हुई और वे अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
असफलता से सफलता की ओर बढ़ने के 5 टिप्स: UnSuccess To Successful
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अपनी हार को स्वीकार करो और फिर से मेहनत शुरू करो:
अगर आप हार गए हैं तो जाहिर सी बात है क्यों सहार का कोई न कोई कारण जरूर रहा होगा। इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आप से गलती जरूर हुई होगी। अपनी हार को स्वीकार करें और उसके लिए कोई बहाना ना दें।
इसके अलावा अपने हार का आकलन करें कि आपने कहाँ गलती की है। अपने गलतियों का पता लगाकर उसमें सुधार करें और फिर से तैयारी में जुट जाएँ। निरंतर प्रयास और कठिन परिश्रम ही आपको सफलता के मार्ग पर ले जाएगी।
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अपने जीवन में बदलाव करें:
अगर आपको अपने जीवन में हार का सामना करना पड़ा है तो इसका मतलब आपने कहीं कमी जरूर की है। अपने उन कमियों को सुधारने के लिए अपने जीवन में उपयुक्त बदलाव करें। क्योंकि आपके गलतियों की वजह से अभी जो हार मिली है,
भविष्य में दोबारा ना मिल पाए। बदलाव का मतलब यह नहीं है कि आप पूरी तरह से बदल जाएं बल्कि उस बदलाव से है जिसके चलते आपने गलती की है।
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सकारात्मक सोच रखें:
अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो हमेशा सकारात्मक सोच रखें। अगर आप अपनी असफलता को सफलता में बदलना चाहते हैं तो आपकी सोच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। आपकी सकारात्मक सोच आपके सफलता का आधार बन सकती है। जैसे आपको किसी कारणवश हार का सामना करना पड़ा है तो यह सोचें कि इस हार से आपकी जिंदगी खत्म नहीं हो गई है बल्कि इससे कुछ सीख मिली है। इस सीख को अमल में लाकर आप सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
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अपनी गलतियों से सीख लें:
जैसा कि हम ऊपर ही कई बार जिक्र कर चुके हैं कि यदि आपको हार मिली है तो आप यह खोजें कि आपने ऐसी क्या गलती की है जिसकी वजह से आपको हार का सामना करना पड़ा। यदि आपने उस गलती को खोज लिया और उससे सीख लेते हुए दोबारा उस गलती को नहीं दोहराया तो आप निश्चित ही सफल हो सकते हैं। आपके साथ पीछे क्या हुआ उसको भूल जाइए और आगे ध्यान लगाइए।
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निरंतर प्रयास करते रहें:
एक कहावत है मन के हारे हार और मन के जीते जीत अर्थात अगर आपने सोच लिया कि आप हार गए हैं तो आपको निश्चित ही हार मिलेगी। लेकिन यदि आपने सोच लिया है कि चाहे कितनी बार भी हार का सामना करना पड़े लेकिन एक दिन अवश्य जीत मिलेगी तो आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता है। इसीलिए हार मिलने के बाद भी निरंतर प्रयास करते रहें। अगर आप अपनी हार को भुलाकर लगातार अपने लक्ष्य का पीछा करने का प्रयास करते हैं तो आपको कोई नहीं हरा सकता है।
निष्कर्ष:
इस आर्टिकल का निष्कर्ष हम आपको एक उदाहरण के रूप में समझाते हैं। जब भारतीय टीम 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में पहली बार वर्ल्ड कप चैंपियन बनी थी तो कोई यह भी नहीं सोच सकता था कि भारतीय टीम कभी भी सेमीफाइनल में पहुंच सकती है।
क्योंकि इस टूर्नामेंट का आयोजन इंग्लैंड और वेल्स में हो रहा था और अगर आप क्रिकेट को समझते हैं तो यह भी जानते होंगे कि भारत का प्रदर्शन विदेशी पिचों पर अच्छा नहीं रहा है। इसके अलावा इस टूर्नामेंट से पहले उन्हें लगातार कई घरेलू और विदेशी सीरीजों में हार का सामना करना पड़ा था। उस समय लगातार दो बार (1975 और 1979) वर्ल्ड चैंपियन वेस्ट इंडीज, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी टीमें वर्ल्ड कप जीतने की मुख्य दावेदार थीं।
लेकिन भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में वो कर दिखाया जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। अपनी पुरानी गलतियों से सीख लेकर और वर्ल्ड चैंपियन बनने का जज्बा लिए भारतीय टीम ग्रुप स्टेज में 6 में से 4 मैच जीतकर सेमी-फाइनल में पहुँची। इसके बाद सेमी-फाइनल में इंग्लैंड को हराकर भारतीय टीम फाइनल में भी पहुँची।
फाइनल में उसका मुकाबला उस समय दिग्गजों से भरी वेस्ट इंडीज टीम से हुआ और उनको मात देकर भारतीय टीम वर्ल्ड चैंपियन बनी। युवा कप्तान के नेतृत्व में युवा जोश से भरी भारतीय टीम ने भारत का परचम पूरे विश्व में लहराया। इस उदाहरण को बताने का हमारा तात्पर्य यह है कि कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता है। बल्कि गलतियों से सीख लेते हुए कठिन मेहनत करके आप बड़े से बड़े लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकते हैं